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व्यक्तित्व विकास का पहला सबक – दिनचर्या

गोल से पहले
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पिछले दिनों व्यक्तित्व विकास की बातें शुरू की थीं। मेरा मानना है कि इसकी पहली शर्त दिनचर्या से शुरू होती है। दिनचर्या वह अहम फैक्टर है, जिस एकमात्र के खंगालने और दुरुस्त कर लेने से व्यक्ति के अंदर और बाहर बहुत कुछ ठीक हो जाता है। इस प्रक्रिया की शुरुआत भर करने से चीजें ठीक होने लगती हैं। जैसे – आपके बगल का व्यक्ति आपके बारे में अब तक क्या जानता था, इस पर ध्यान देना छोड़ दीजिए। अभी कल से आपने दिनचर्या में ईश्वर की प्रार्थना को शामिल कर लिया, कुछ आरती गाने लगे, कुछ मंत्रोच्चारण करने लगे। निश्चित रूप से तत्काल लोगों को इसका पता चलेगा। पहला आपके बारे में यही संदेश जाएगा कि आप धार्मिक होते जा रहे हैं। इससे आपकी एक छवि बननी शुरू हो जाएगी। इसकी जितनी निरंतरता बढ़ेगी, आपके बारे में परसेप्सन उतना ही दृढ़ होता जाएगा।

एक बार दिनचर्या का खयाल आ भर जाए तो सबसे पहले जो चीज आपके व्यक्तित्व में शुमार होगी, वह है अनुशासन। और एक नारा तो आपने सुना ही होगा-अनुशासन ही देश को महान बनाता है। इसी प्रकार कोई दिन भर का अपना काम तय कर ले और उसके अनुरूप अमल करने लगे तो क्या होगा। दो बातें होंगी। एक तो व्यक्ति के अंदर खुद काम करने की फुर्ती और उत्साह का निरंतर संचार होने लगेगा, दूसरे इससे उसके बारे में सोसाइटी में, वर्कप्लेस पर यह साफ हो जाएगा कि यह व्यक्ति वर्क टू रूल है, वर्क टू टाइम है। इसका हिडेन मैसेज होता है-यह आदमी भरोसे का है।

इतना तो आप मानते ही होंगे कि आज बाजार में भरोसे की कितनी कद्र है, कितना वैल्यू है। भरोसा न हो तो आप माचिस की एक डिब्बी नहीं लेते। बिस्कुट का एक पैकेट नहीं खरीदते। फिर आपका पूरा अपीयरनेंस भरोसे के काबिल बन जाए, क्या आप नहीं चाहेंगे? और यह सिर्फ दिनचर्या दुरुस्त करने से हो सकता है। आपको कब सोना है, कब जगना है, कब स्नान करना है, कब नाश्ता करना है, कब भोजन करना है, कब दफ्तर पहुंचना है, दफ्तर में प्रायरिटी पर कौन-कौन से काम करने हैं, कब बाजार करना है, कब किस दोस्त को फोन करना है, कब किसे चिट्ठी लिखनी है, जवाब नहीं आया तो कब उसे रिमाइंडर भेजना है…. यह सब कुछ आपके टो पर होना चाहिए।

दिनचर्या बनाइए, उस पर अमल करना शुरू कीजिए, अमल नहीं कर पाए तो रात में उसके अध्ययन के दौरान अफसोस जताइए, कल का नया संकल्प लीजिए और आप पाएंगे चौबीस-छत्तीस घंटे में कितना कुछ बदल गया। व्यक्तित्व विकास पर चर्चा जारी रहेगी। अगली पोस्ट में पढिए – जुबान पर रहे लगाम।

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