Menu
blogid : 129 postid : 27

कमजोरियों को दूर कीजिए, मिलेगा सम्मान

गोल से पहले
गोल से पहले
  • 72 Posts
  • 304 Comments

मैंने देखा है, जिसने अपनी कमजोरियों की पहचान कर उसे दूर करने का प्रयास शुरू कर दिया, उसके अपमानित होने का खतरा भी कम हो गया। आदमी अपमानित होता ही है अपनी कमजोरियों की वजह से। लालच, ईर्ष्या, दूसरे को नीचा करने का भाव, हरदम खुद को श्रेष्ठ साबित करने की चेष्टा… ये सब आपकी कमजोरियां हो सकती हैं। कमजोरियां हों या मजबूतियां, यह तो तय है कि उसे एक न एक दिन एक्सपोज होना ही होता है। और यह जब एक्सपोज होता है तो क्या होता है? एक मुकाम पर पहुंचकर जब आपकी नकारात्मक वृतियां एक्सपोज होती हैं तो इस कदर अपमानित करने वाली होती हैं या अपमान के दौर में पहुंचा देने वाली होती हैं कि आप न केवल समाज से बिल्कुल कट जाते हैं, बल्कि आत्महत्या तक के लिए मजबूर हो जाते हैं। इतना ही नहीं, आगे की पीढ़ियां भी आपकी करनी का फल भोगती रहती है, लंबे समय तक उस अपमान को ढंक नहीं पातीं, तबाह होती रहती हैं, तबाह हो जाती हैं।
एक सीनियर थे। उन्हें एक कर्मचारी से खुन्नस हो गई। वे अन्य कर्मचारियों से एक-एक कर कहने लगे, उस खास कर्मचारी से बातें मत करो, मिलो मत। अब वह खास कर्मचारी उन वरिष्ठ सज्जन की कमजोरी के रूप में सामने आ गया। खूबी यह रही कि इस कमजोरी को सज्जन कहां तक छुपाते, उलटे लोगों को एक-एक कर बताते चल रहे थे। तो अब उन्होंने अपने विरोधियों को एक हथियार दे दिया, जिससे वे उनका सरेआम अपमान करने लगे। जिनकी उनके सामने खड़े होने की औकात और हिम्मत नहीं थी, वे उस खास कर्मचारी के साथ दिखने लगे और बस इसी से सज्जन अपमानित होने लगे।
आप किसी समारोह में गए और बिना आयोजकों के पूछे या बताए अगली कतार की कुर्सी पर बैठ गए। आपने अपने अपमान को न्योता दे दिया। दिया कि नहीं? अब यदि कोई आपको वहां से उठकर पिछली कतार की कुर्सी पर बैठने को बोले तो यह आपका सार्वजनिक अपमान होगा। इसके ठीक विपरीत यदि आप पिछली कतार में बैठे होते और कोई आपसे अगली कतार में बैठने को बोलता तो यह आपके लिए सार्वजनिक सम्मान की बात होती। होती कि नहीं? चाय की क्या कीमत है? दो-चार रुपये में ग्लास भर कर मिलती है। लेकिन, यही चाय सम्मान की वस्तु तब हो जाती है, जब आप चार लोगों के साथ कहीं बैठे हों और यह तीन लोगों को परोसी जाय और आपको नहीं दी जाय। तो जहां इस बात का खतरा हो, वहां आप बैठे ही क्यों?
उम्र आदमी को चालाक बनाती है, कनिंग बनाती है। अज्ञानता से पूर्ण कोई उम्रदराज आदमी अपनी श्रेष्ठता साबित करने के लिए खुद को ज्ञानी बताने लगाता है। उसके लिए यह सरल होता है कि वह दूसरों को हमेशा नीचा दिखाए। ऐसे मौके पर ज्ञानी के भी अपमानित होने का खतरा रहता है। तो ऐसी स्थिति में आपके लिए सम्मान की बात यही हो सकती है कि आप अपमानित न होने पाएं। ऐसी स्थितियों में आपका विश्वास और अपने ऊपर खुद का मजबूत भरोसा ही आपको बचा सकता है।
दरअसल, सम्मान पाना सम्मान देने के आधार पर टिका होता है। आपको सम्मान पाना है तो सम्मान देना होगा। जब आप किसी को सम्मान देंगे, तभी आपको भी कोई सम्मान देगा। यह बिल्कुल दिल का मामला है। इसमें बुद्धि बहुत काम नहीं करती। भय से हासिल सम्मान भय का कारण खत्म होते ही अपमानित करने लगता है। शायद इसीलिए आदर करने वालों से अपमानित होने का खतरा ज्यादा रहता है। हमेशा खयाल रखें कि कोई आपका सम्मान आपके व्यक्तित्व के लिहाज से करे, आपकी अच्छाइयों के लिए करे, आपको आदरणीय मानकर करे, आपको अभिभावक मानकर करे, प्रेरणादायक मानकर करे, ईमानदार मानकर करे। व्यक्ति के सम्मान के लिए उसका खुशमिजाज होना भी एक महत्वपूर्ण पहलू है। इस पर चर्चा अगली पोस्ट में।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh