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मुझे याद आता है दुष्यंत की रचना का एक टुकड़ा। मैं बेपनाह अंधेरे को सुबह कैसे कहूं, मैं इन नज़ारों का अंधा तमाशबीन नहीं …..। कविता किसी दूसरे अर्थ में लिखी गई है, पर मुझे इसका जो मतलब समझ में आता है, उसका नजारा कराना चाहूंगा। नजारों की नजर यह है कि जो कुछ भी सामने दृष्टिगोचर है, कम से कम उस पर तो पूरी नजर फेर ही ली जाए। अंधेरा है तो अंधेरा कहिए, सुबह है तो सुबह। अंधेरे को सुबह कहने-समझने में खतरे ही खतरे हैं।
तीन दृष्टांत हैं, तीन तरह की घटनाएं। ये सभी के सामने घटती रहती हैं, पर शायद ही कभी किसी ने इसकी गहराई थामने की कोशिश की हो। आइए, कम से कम मौके और दस्तूर का लिहाज करते हुए अब इसकी गहराई नाप ली जाए। मेरा मानना है कि एक बार इन घटनाओं के जेरेसाया हकीकत और फसाने को ठीक-ठीक समझ गए तो संवर गया भविष्य, सुधर गया कल। वह कल जो कभी आता ही नहीं है। जब आता है तब आज बन जाता है। ये तीन बातें है फेट, ट्रस्ट और होप।
दृष्टांत एक – एक गांव में वहां के लोगों ने बारिश के लिए ईश्वर से प्रार्थना करने का समय निश्चित किया। तय समय पर सारे लोग वहां प्रार्थना के लिए आए। पर, सभी खाली हाथ थे। खाली हाथ यानी प्रार्थना के लिए हाथ जोड़ेंगे और काम मुकम्मल। पर, वहां एक ऐसा बच्चा भी आया, जिसके हाथों में छाता था। उसे भवितव्यता पर भरोसा था कि हमारे कृत्य यदि बारिश के लिए किए जा रहे हैं तो बारिश होगी। और यदि बारिश होगी तो भींगने से बचने के लिए उसके पास छाता था। यह क्या था। यह था फेट का नमूना।
दृष्टांत दो – एक बच्चे को आप आकाश में उछालते हैं। उसे तो अपनी मौत के भय से थर-थर कांपना चाहिए। पर नहीं, वह हंसता है, किलकारियां मारता है, चहकता है। उसे भरोसा है कि आप उसे गिरने नहीं देंगे, आप उसे मरने नहीं देंगे। क्या है यह? यह है ट्रस्ट।
दृष्टांत तीन – हर रात आप सोने जाते है। सोते भी हैं और सोने से पहले आप कल का पूरा मेनू तैयार कर लेते हैं। एक-एक मिनट तक का। यह करेंगे, वह करेंगे। यहां जाएंगे, वहां जाएंगे। कोई कभी यह नहीं सोचता कि अरे अभी सोया, कल जगेंगे कि नहीं पता नहीं। पर नहीं, आप या कोई ऐसा नहीं सोचता। क्या है यह? यह होप है।
फेट, ट्रस्ट, होप के बहुत सारे उदाहरण हो सकते हैं, पर समझने की बात यह है कि भविष्य संवारने के लिए चेतनशील व्यक्ति में इन तीन चीजों का होना मुझे जरूरी लगता है। आपमें किसी काम के शुरू करने से पहले छाता लेकर चलने वाला फेट होना चाहिए, अपने इर्द-गिर्द के माहौल-परिवेश से कुछ लम्हों- कुछ लोगों पर आपका ट्रस्ट होना चाहिए और एक बार सो गए तो फिर जगेंगे, ऐसा होप होना चाहिए। होना चाहिए कि नहीं? फिलहाल इतना ही। व्यक्तित्व विकास को लेकर भविष्य संवारने के लिए टिप्स तलाशती चर्चाओं का सिलसिला अभी जारी रहेगा।
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