गोल से पहले
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उनकी जय पर तू बोली
उनके क्षय पर तू बोली
आज तुम गुम क्यों हो कलम
बोल तू उनकी फिर जय बोल
जरा सी हवा चली तो तू बोली
जरा सी घटा चली तो तू बोली
आज तो अंधड़ चलता, बोल
बोल तू उनकी फिर जय बोल
जरा सा पत्ता डोला, तू बोली
भेद कोई भी खोला, तू बोली
आज तुम गुम क्यों हो, कलम
बोल तू उनकी फिर जय बोल
कोई दाढ़ी वाला है बोल
उसका चेहरा काला है बोल
काले को किसने पाला, बोल
बोल कि हमने पाला, बोल
बोल कि हमने पाला, बोल
आज तुम गुम क्यों हो, कलम
बोल तू उनकी फिर जय बोल
(राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर को समर्पित)
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