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डगर कहता है
जरा संभल ना
मगर कहता हूं
ना-ना, ना-ना…!
हिसाबों में हम
किताबों में हम
सवालों में हम
जवाबों में हम
जिगर कहता है
जरा मचल ना
मगर कहता हूं
ना-ना, ना-ना…!
ओ काली जुल्फें
नशीली आंखें
ये मस्त जवानी
बड़ी मस्तानी
शहर कहता है
जरा बदल ना
मगर कहता हूं
ना-ना, ना-ना…!
लंबी गलियां
ऊंची कलियां
टेढ़ी सड़कें
चलने ना दें
सफर कहता है
जरा सा रुक ना
मगर कहता हूं
ना-ना, ना-ना…!
सूना दफ्तर
पसीने से तर
नगीना घर है
कमीना बिस्तर
असर कहता है
जरा फिसल ना
मगर कहता हूं
ना-ना, ना-ना…!
सरेंडर दिन है
कैलेंडर रातें
मगर कहता हूं
ना-ना, ना-ना…!
होश में हैं लोग
जोश में हैं हम
मगर कहता हूं
ना-ना, ना-ना…!
लंबी राहें
पुकारें आ जा
मगर कहता हूं
ना-ना, ना-ना…!
बताए रस्ता
इधर से ही जा
मगर कहता हूं
ना-ना, ना-ना…!
कोई जो बोले
कि बोलो हां हां
मगर कहता हूं
ना-ना, ना-ना…!
ना-ना, ना-ना…!
ना-ना, ना-ना…!
ना-ना, ना-ना…!
होली की शुभकामनाओं के साथ
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